- तैमूर लंग ने दिल्ली को जीता फिर फिरोजाबाद, मेरठ, हरिद्वार, जम्मू, कांगडा को जीतता हुआ खिज्र खाँ को मुल्तान, लाहौर, दीपालपुर का शासक नियुक्त किया
- खिज्र खाँ ने सैय्यद वंश की स्थापना की यह 1414 ई0 में दिल्ली की राज गद्दी पर बैठा
- खिज्र खाँ ने सुल्तान की उपाधि धारण न करके रैयत ए आला की उपाधि धारण की
- इस वंश का अगला शासक मुबारक खाँ था जिसके संरक्षण में रहकर ‘याहिया- बिन – सरहिंदी ने तारीख-ए-मुबारकशाही की रचना की
- इसने अपने नाम के सिक्के चलवाये और पूर्ण रुप से वैधानिक शासक के रूप मे शासन किया
- इसने भटिंण्डा व दोआब में विद्रोह को सफलतापूर्वक दबाया लेकिन खोखर जाति के नेता जसरत द्वारा किये गये विद्रोह को दबाने में असफल रहा
- मुबारक शाह ने यमुना के किनारे मुबारकाबाद की स्थापना की जब इसे देखने जा रहा था तो वजीर सखरुलमुल्क के नेतृत्व में कुछ हिंदू व मुस्लिम सरदारों ने इसकी हत्या कर दी
- मुबारक शाह के बाद उसका भतीजा मुहम्मद शाह गद्दी पर बैठा इसका शासन काल 1434 से 1444 तक रहा
- मुहम्मद शाह का वास्तविक नाम मुहम्मद बिन फरीद खाँ था
- मुहम्मद शाह ने बहलोल लोदी को खानेखाना की उपाधि प्रदान की
- सैय्यद वंश का अंतिम शासक मुहम्मद शाह का पुत्र अलाउद्दीन आलम शाह गद्दी पर बैठा
- आलम शाह के अपने वजीर हमीद खाँ से मतभेद होने के कारण उसे दिल्ली छोड के बदायूँ जाना पडा
- आलम शाह के वजीर हमीद ने 1451 ई0 में दिल्ली का राज सिंहासन बहलोल लोदी को सौंप दिया
- सुल्तान आलमशाह की मृत्यु 1476 ई0 में बदायूँ में हुई इसके साथ ही सैय्यद वंश का अंत हो गया saiyyad vansh, khizra khan, hindi audio notes,
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