सिकंदर लोदी का इतिहास | Sikandar Lodi History in Hindi
- बहलोल लोदी की मृत्यु के बाद उसका पुत्र सिकंदर लोदी दिल्ली की गद्दी पर बैठा
- इसका मूल नाम निजाम खां था व इसने सिकंदर लोदी की उपाधि ली थी
- सिकंदर लोदी वंश का सर्वश्रेष्ठ शासक था व्यक्तित्व को सुंदर बनाये रखने के लिए वह दाढी नही रखता था
- सिकंदर लोदी का उपनाम गुलरुखी था इस नाम से वह फारसी में कविताएं लिखा करता था
- सिकंदर लोदी के काल में ही संगीत की पुस्तक ‘लज्जते सिकंदरी’ की रचना हुई, यह शहनाई बजने पर झूम उठता था
- 1504 ई0 में उसने राजस्थान के शासको पर अपना अधिकार सुरक्षित रखने तथा व्यापारिक मार्गो पर नियंत्रण स्थापित करने के उद्देश्य से आगरा नगर की स्थापना की
- वहाम पर उसने एक किले का भी निर्माण कराया जो बादलगढ का किला के नाम से मशहूर था
- 1506 ई0 में सिकंदर लोदी ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया
- यह भूमि में गढे खजाने में कोई हिस्सा नही लेता था
- सिकंदर के समय में ही नाप के लिए पैमाना गजे सिकंदरी प्रारम्भ किया गया जो प्राय; 30 इंच का होता था
- सिकंदर ने मुहर्रम और ताजिये निकलना बंद करा दिया और मस्जिदों को सरकारी संस्था के रूप में विकसित करने का प्रयास किया और उन्हे शिक्षा का केंद्र बनाया गया
- सिकंदर लोदी के स्वयं के आदेश पर एक आयुर्वेदिक ग्रंथ का फारसी में अनुवाद किया गया जिसका नाम फरंहगे सिकंदरी रखा गया
- यह धार्मिक दृष्टि से असहिष्णु शासक था यह सभी धर्मो से समभाव नहीं रखता था
- इसने ब्राह्मणो से जजिया लेना पुन: प्रारम्भ कर दिया इसने एक बोधन नाम के ब्राह्मण को इसलिए फांसी दे दी क्योकि उसका कहना था कि हिंदू और मुस्लिम धर्म समान रूप से पवित्र है
- सिकंदर लोदी ने अनाज पर जकात लेना बंद कर दिया
- सिकंदर लोदी की मृत्यु 21 नबम्बर 1517 ई0 को आगरा में हुई
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