- किसी भी व्यक्ति के शरीर की सभी कोशिकाएं चाहे वे रक्त की हों या त्वचा की या शुक्राणु की या बाल की सभी से एक ही प्रकार के डी एन ए चित्र प्राप्त होते हैं, ये पट्टी चित्र ही डीएनए फिंगर प्रिंट कहलाते हैं |
- डीएनए फिंगर प्रिंटिंग का विकास सबसे पहले 1984 में एलेक जेफ्री ने किया था |
कैसे लिया जाता है डीएनए फिंगर प्रिंट
- डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए मुख्य रूप से जैविकीय नमूने की जरूरत पड़ती है जैविकीय नमूने में ख़ून के धब्बे, जड़ सहित बाल का टुकड़ा, वीर्य की कुछ बूँदें, त्वचा कोशिकाएं, मुंह में रखा कपड़ा, अस्थि मज्जा अथवा किसी ऊतक की कोशिकाएं शामिल की जा सकती हैं|
वर्तमान में इसका क्या प्रयोग किया जा रहा है ?
- वंशानुगत बीमारियों को पहचानने में तथा उनके लिए चिकित्सा पद्यति विकसित करने के लिये |
- बच्चे के वास्तविक माता पिता निर्धारण में
- पैत्रक संपत्ति आदि के दावों से निपटने के लिए
- जैविक साक्ष्यों के आधार पर अपराध अनुसंधान में तथा वास्तविक अपराधी को पहचानने में|
- सेना आदि संगठनों में डीएनए फिंगर प्रिंटिंग के रिकार्ड रखे जाते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर व्यक्तियों की पहचान की जा सके |
कहाँ हैं देश का डीएनए भंडार
- कोलकाता
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