दोस्तों, यूँ तो दुनिया में लाखों तरह के बिजनेस हैं पर ऐसे बहुत कम ही बिजेनस हैं जिन्हें कर के लाखों लोग करोड़पति बन चुके हों… कपड़ों का बिजनेस एक ऐसा ही बिजनेस है जो सदियों से चला आ रहा है और जिसने लाखों लोगों को करोड़पति बनाया है.
और आज इस पोस्ट में मैं आपको एक ऐसी हाउसवाइफ की कहानी बताने जा रहा हूँ जिन्होंने सिर्फ 50 हज़ार रु से साड़ियों के बिजनेस की शुरुआत की और आज उनका टर्नओवर 10 करोड़ रु से भी अधिक है.
ज्योति वाधवा बंसल की कहानी
वो साल 2010 था. दिल्ली की ज्योति वाधवा बंसल अपने पति अंशुल बंसल और 2 साल की बेटी के साथ हंसी-ख़ुशी रहती थीं. पति Yes Bank में वाईस प्रेसिडेंट थे. सब कुछ बहुत smoothly चल रहा था. लेकिन तभी शादी के करीब 4 साल बाद पति ने ऐलान कि अब मुझे जॉब नहीं करनी मैं अपना खुद का बिजनेस करना चाहता हूँ.
अब ज्योति असमंजस में आ गईं क्योंकि अंशुल की कमाई से ही घर चल रहा था और उनके अचानक नौकरी छोड़ देने से सब कुछ बदलने वाला था.
दिल्ली के नामी टैगोर इंटरनेशनल स्कूल से पढ़ी ज्योति ने 2003 में Amity Business School से MBA भी किया था और इसके बाद 3 साल तक एक MNC में जॉब भी की थी.
ज्योति के मन में यही उधेड़बुन चल रही थी कि financially secure होने के लिए उन्हें कुछ करना होगा. मन में जॉब करने बात आई पर जब बिटिया का मुंह देखा तो लगा इतनी छोटी बच्ची उनके बिना कैसे रहेगी…इसीलिए तय किया कि कुछ अपना करना है और घर से ही करना है.
पचास हज़ार रु से की शुरुआत
पास में कुल मिला-जुला कर पचास हज़ार रु की सेविंग्स थीं. आत्मविश्वास कमजोर था पर ऐसे वक़्त में उन्होंने निराश होने की बजाय उन दिनों को याद किया जब शादी के बड़ा उन्होंने अपनी सेहत सुधारने के लिए नेचर कैंप ज्वाइन किया था और योग करके अपने आप को फिट बनाया था.
ज्योति बताती हैं कि खुद को फिट बनाना कोई बहुत बड़ी अचीवमेंट नहीं थी लेकिन इसने एक बात मेरे मन में बैठा दी कि , “ हर एक समस्या और हर एक समाधान मेरे अपने अन्दर है.”
और इस सोच ने मुझे शक्ति दी कि ज़िन्दगी के इस दोराहे पर मैं अपना रास्ता ज़रूर ढूंढ लुंगी.
तब ज्योति ने आँख बंद की और कहा –
और वो कहते हैं न – जब आप किसी चीज को पूरी शिद्दत से चाहें तो सारी कायनात आपको उससे मिलाने की साजिश करने लगती है.
Online साड़ियाँ बेचने का आईडिया
ज्योति को किसी रिश्तेदार ने online business शुरू करने की सलाह दी.
ज्योति जी-जान से इस आईडिया को एक्स्प्लोर करने में जुट गयीं. हर दिन वो मार्केट रिसर्च पर 5-6 घंटे देने लगीं.
धीरे-धीरे उन्हें ये समझ आने लगा कि ऐसा कौन सा प्रोडक्ट है जिसकी demand भी खूब है और जिसमे मुनाफा भी जम कर कमाया जा सकता है.
- एक ऐसा प्रोडक्ट जिसमे न साइज़ का चक्कर था न एक्सपायर होने की झंझट
- न डिजाईन की कमी थी न variety की shortage
- ये ऐसा बिजनेस था जिसे करने के लिए इन्वेस्टमेंट भी बहुत अधिक नहीं चाहिए थी.
Jyoti ने मन में ठान लिया कि अब वे ऑनलाइन साड़ियों का बिजनेस करेंगी.
अपने रिसर्च के दौरान, ज्योति ने एक बात नोटिस की थी कि सिल्क फैब्रिक की डिमांड काफी थी.
उन्होंने बाजारों में जाकर handcrafted सिल्क साड़ियाँ देखना शुरू की. जैसे-जैसे वे साड़ियाँ देखती गईं उनका आत्मविश्वास बढ़ता गया….लगा कि यही वो चीज है जिसकी उन्हें तलाश थी और वे इसे बेच सकती हैं.
Sanskriti Vintage की शुरुआत और सफलता के लिए संघर्ष
फिर क्या था अपने पास जमा किये हुए 50 हज़ार रु लेकर वे निकल पड़ीं सिल्क साड़ियों की खरीदारी करने.
और यहीं से उन्होंने कुछ साड़ियाँ कलेक्ट की और 2010 में Ebay पर जन्म हुआ Sanskriti Vintage का.
शुरुआत में कई दिक्कतें आयीं… यहाँ तक कि पहेल दो महीने तो एक भी आर्डर नहीं आया… कई बार लगा कि पैसा डूब गया…पर फिर भी ज्योति इसलिए टिकी रहीं क्योंकि भले कस्टमर साड़ियाँ खरीद नहीं रहे थे पर हर रोज कुछ लोग उनके ऑनलाइन स्टोर पर विजिट कर रहे थे और उनके प्रोडक्ट्स की तारीफ़ कर रहे थे.
धीरे-धीरे साड़ियाँ बिकना शुरू हुईं…इसके बाद भी challenges कम नहीं थे…
कस्टमर के टेस्ट के अनुसार साड़ी खरीदना, उसकी फोटो लेना…site पर अपलोड करना… उसका catchy description लिखना….ये सब पहले बहुत मुश्किल…फिर मुश्किल और फिर आसान हो गया.
कोई स्टाफ न होने के कारण ज्योति खुद ही अपनी बेटी के साथ लम्बी-लम्बी लाइनों में लग कर पोस्टल सर्विसेज के माध्यम से ग्राहकों को साड़ियाँ शिप किया करती थीं.
ऊपर से आये दिन मार्केट जा कर अच्छी साड़ियाँ सेलेक्ट करना भी एक बड़ा टास्क था… पर ज्योति ने ये सब किया और अपने ऑनलाइन स्टोर का एक बच्चे की तरह ध्यान रखा.
अमेरिकी ग्राहकों को ध्यान में रख कर ज्योति ने :
- handcrafted silk sarees
- chikankari
- crepe
- jaipuri prints और embroidery work जैसे कि-
- luckhnowi chikan
- zari, zardozi, और hand embroidered phulkari वाली साड़ियों का स्टॉक बढ़ा दिया.
कम्पटीशन का सामना
हर फील्ड कीतरह यहाँ भी competition था जिसे ज्योति ने अपनी स्मार्ट थिंकिंग से beat किया…. उन्होंने अपना मार्जिन कम रखते हुए फ्री शिपिंग की सुविधा दी… जिस समय लोग 2mega pixel camera से फोटो खींच कर ebay पर उपलोड करते थे उस वक़्त ज्योति ने dslr camera use करना शुरू कर दिया.
उन्होंने हर एक कस्टमर को importance दी और उनके फीडबैक को seriously लेकर बिजनेस के हर एक पहलु को सुधारा.
इसका नतीजा ये हुआ कि पहेल साल में ही उन्होंने 15 लाख रु की साड़ियाँ बेच दी और एक employee भी रख लिया.
ज्योति बताती हैं – “मैंने अपने घर के एक कमरे से शुरुआत की थी, जहाँ मेरे पास एक कपड़े रखने के लिए एक अलमारी थी। छह महीने के अन्दर मैंने प्रोडक्ट्स की रेगुलर शिपिंग करने के लिए एक लड़की को काम पर रख लिया क्योंकि मैं लाइन में खड़ी हो कर अपना टाइम नहीं वेस्ट करना चाहती थी…. मुझे अपने ग्राहकों के लिए नए प्रोडक्ट्स खोजने और उन्हें खरीदने में टाइम लगाना था.”
2 साल के अन्दर बिजेनस काफी बढ़ गया. उधर पति अंशुल बंसल का बिजनेस रफ़्तार नहीं पकड़ पा रहा था…इसलिए वे भी ज्योति का साथ देने साड़ियों के बिजनेस में आ गए.
अब काम करने के लिए ज्योति ने नॉएडा में रेंटेड स्पेस ले लिया जहाँ से वे अब भी 30 लोगों की टीम के साथ काम करती हैं.
आज उनकी टीम में professional photographers हैं, defect free product ही शिप हो यह ensure करने के लिए बन्दे हैं, quality कण्ट्रोल और क्वालिटी चेक के लिए dedicated टीम है.
Sanskriti Vintage की शनदार सलफता के लिए हम ज्योति वाधवा बंसल को ढेरों शुभकामनाएं देते हैं और इस विडियो को देख रहे अपने readers को आमंत्रित करते हैं 5000 से अधिक अन्य entrepreneurs की तरह सूरत के सबसे बड़े Saree Manufacturer Ajmera Fashion के साथ जुड़ कर साड़ियों का बिजनेस शुरू करने के लिए. इस बिजेनस से जुडी छोटी-बड़ी हर बात समझने के लिए :
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