हम सब जिंदगी में कुछ न कुछ पाना चाहते है। उसे पाने के लिए मेहनत भी करते है। पर कभी कभी, हमारे सामने ऐसी चुनौतियां आ जाती है जो हमें आगे बढ़ने से रोकती है।
धीरे धीरे हम महसूस करने लगते है कि कठिनाइयां हमसे ज्यादा शक्तिशाली है, हम उसे नही हरा पाएंगे। हमें लगता है कि हम उस चीज को हासिल नही कर पाएंगे जिसे पाने के लिए हम मेहनत कर रहे है, और हम हर मान लेते है।
आज की यह कहानी उन लोगों के लिए है जो अभी कठिन हालात का सामना कर रहे हैं। और अपने आप को दुर्बल समझ रहे हैं।
देखिए, जीवन कठिन हो सकता है, समस्याएं आपको नीचे गिरा सकती हैं, लेकिन अगर आप अंत तक बने रहते है, तो आप यकीनन जीत जाएंगे।
कैटालिना चैनल पार करने का फैसला
फ्लोरेंस चैडविक की उम्र 34 वर्ष थी, जब उसने कैटालिना द्वीप से कैलिफ़ोर्निया की तटरेखा तक; जिसे कैटालिना चैनल कहते हैं, को 21 मील तैर कर पार करने का निश्चय किया. किसी महिला द्वारा कैटालिना चैनल पार करने का यह पहला प्रयास था.
4 जुलाई, 1952
स्विमिंग सूट पहनी हुई चैडविक जीतने के निश्चय के साथ पानी के अंदर उतरीं और तैरना शुरू किया। मौसम बहुत चुनौतीपूर्ण था। महासागर ठंडा बर्फ बना पड़ा था, और कोहरा इतना घना कि पीछे नाव में आ रही सहायक टीम को भी देख पाना बहुत मुश्किल था। ज्वार और मौसम दोनों उसके खिलाफ थे।
5 घंटे बीत गए, पर कोहरा हटने का नाम ही नही ले रहा था। सहायक टीम के साथ नाव में बैठी उसकी माँ उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी। लगातार 15 घंटे तैरने के बाद उसे अपनी तैरने की क्षमता पर संदेह होने लगा। उसने अपनी माँ से कहा कि उसे नहीं लगता कि वह इस रिकॉर्ड को बना सकती है।
कोहरे की वजह से, वह समुद्र तट नहीं देख पा रही थी, इसलिए उसे इस बात का अंदाज़ा तक नही था कि वह अपनी मंज़िल से कितनी दूर है। और दुर्भाग्य से, 16 घंटे की मुश्किल तैराकी के बाद उसने हार मान ली और बड़ी निराशा के साथ उसने अपने सहायक दल को उसे पानी से बाहर निकालने के लिए कहा। पर जब वह किनारे पहुंची तो उसे मालूम हुआ कि वह किनारे से एक मील से भी कम दूरी पर थी।
बाद में उसने एक संवाददाता से कहा, “देखो, मैं कोई बहाना नहीं बनाना चाहती हूं, लेकिन अगर मैं ज़मीन देख पाती, तो मैं यकीनन रिकॉर्ड बना लेती।”
कोहरे ने उसे अपने लक्ष्य को देखने में असमर्थ बना दिया और उसे लगा कि वह पहुंच नहीं पाएगी। वह निश्चित रूप से तट पर पहुंच जाती, अगर वह पानी में बस कुछ देर और लगी रहती। इस असफल प्रयास के दो महीने बाद उसने फिर से कोशिश की। और, हालांकि इस बार भी धुंध बहुत घनी थी, लेकिन इस बार जब वह खुद को धक्का दे रही थी तो उसके दिमाग में तट-रेखा की मानसिक छवि थी। और न केवल वह सफल रही बल्कि –
कैटालिना चैनल को तैर कर पार करने वाली विश्व की पहली महिला बनीं।
यह कहानी हमें सफलता के तीन सबक सिखाती है-
Never Give Up: हार मत मानिए
जैसा कि थॉमस एडीसन ने कहा है-
“जीवन में असफल हुए व्यक्तियों में कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें इस बात का पता ही नहीं होता कि जब उन्होंने हार मानी तो उस समय वे सफलता के कितने करीब थे।”
जब हम कठिन चुनौतियों का सामना कर रहे होते है तो कई बार हम अपने गंतव्य के बहुत करीब पहुंच जाते है। लेकिन फिर भी हम हार मान लेते है, सिर्फ इस वजह से क्योंकि हमें लगता है कि हमें मंजिल मिल ही नहीं सकती।इस बात को याद रखें, धुंध के आगे एक खूबसूरत किनारा है और आप उसके बेहद करीब हैं। यदि आप उस घनी धुंध रुपी दिक्कतों के बीच भी लगातार तैरते रहेंगे… उनका सामना करते रहेंगे तो आप किनारे तक ज़रूर पहुँच जायेंगे…आप जीत जाऐंगे।
हार को जीत में बदला जा सकता है
बहुत से लोग कई चीजें सिर्फ इसलिए नहीं कर पाते क्योंकि जब वे पहली बार उसे करने का प्रयास कर रहे थे तो उसमे असफल हो गए थे। अगर फ्लोरेंस चैडविक भी अपनी पहली नाकामयाबी को आखिरी मान लेतीं तो वे कभी भी कैटालिना चैनल पार नहीं कर पातीं।
उनकी तरह हमें भी हार की निराशा को जीत के जोश में बदलने के लिए तत्पर रहना चाहिए.
अगर आप किसी भी सफल व्यक्ति की जीवनी पढ़ेंगे तो आपको दो बातें सभी में एक जैसी देखने को मिलेगी:
- पहली, हर सफल व्यक्ति ने अपने जीवन में कभी न कभी असफलता का सामना किया है।
- और दूसरी, हर एक सफल व्यक्ति ने हार का सामना करने के बाद दोबारा कोशिश की है।
चैडविक ने भी वही किया।
पर इस दुनिया में ऐसे कई लोग है, जो अपनी मंज़िल पाने के लिए पूरी जान लगा देते है। उसके बाद भी जब उन्हें अपनी मंज़िल नही मिलती तो वे हार मान लेते है।
देखिए, हार मानने में कुछ बुरा नहीं है, लेकिन सिर्फ तब तक, जब तक कि आप दोबारा कोशिश करना नही छोड़ते।
जब भी हम बड़े लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो अस्थायी हार और बाधाएं अनिवार्य होती हैं। सिर्फ इसलिए क्योंकि आप एक बार असफल रहे हैं इसका मतलब यह नहीं है कि आप हमेशा के लिए असफल ही रहेंगे।
कभी भी कोशिश करना मत छोड़िए, क्योंकि यदि आप आगे बढ़ते रहेंगे तो आपको कभी न कभी सफल होने का मौका मिलेगा। लेकिन अगर आप कोशिश करना छोड़ देते है तो इस बात की गारंटी है कि आप हमेशा के लिए असफल ही रहेंगे।
Believe in yourself: खुद पर भरोसा रखें
मार्क ट्वेन ने कहा है, ” लड़ाई में कुत्ते का आकार मायने नहीं रखता, कुत्ते में लड़ाई का आकार मायने रखता है.
ये मायने रखता है कि आप अन्दर से कितने दृढ़, कितने मजबूत हैं और आपको अपने आप पर कितना भरोसा है.
पहली बार अपनी कोशिश में विफल होने के बावजूद चैडविक ने अपना भरोसा नहीं खोया… उसे यकीन था कि वह चैनल क्रॉस कर सकती है. और इसी self-belief की ताकत से वह दूसरी कोशिश में चैनल पार कर गयी।
दोस्तों, एक बात तो तय है कि अगर आप अपने सपनों को पूरा करना चाहते है तो आपको अपने आप में विश्वास करना ही होगा। इसके लिए आपको दुनिया में सबसे ज्यादा प्रतिभाशाली बनने की जरूरत नहीं है। आपको दुनिया में सबसे बुद्धिमान व्यक्ति होने की भी जरूरत नहीं है। यदि आप खुद पर भरोसा करते हुए निरंतर प्रयास करते रहेंगे, तो यकीनन आपको सफलता प्राप्त होगी।
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