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दीपावली पर घर ही नहीं, मन भी करें साफ़!

 

दीपावली पर घर ही नहीं, मन भी करें साफ़!


दीपावली सुख-समृद्धि के आहवान का पर्व है। लक्ष्मी की पूजा की जाती है। कहते हैं दीपावली के दिन लक्ष्मी साफ-सुथरे घरों में ही प्रवेश करती हैं गंदे घरों में नहीं। घर साफ-सुथरा और स्वच्छ है तो उसमें रहने वाले भी स्वस्थ और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होंगे।

इसीलिए हम सब दीपावली आने से कुछ पहले ही घरों की गहन सफाई में जुट जाते हैं, साल भर का जमा कूड़ा-करकट और रद्दी निकाल कर कबाड़ी को बेच देते हैं और उनकी जगह नयी उपयोगी चीजें लाते हैं…अपने घर को सजाते हैं, दीपों को रौशन कर अन्धाकर को ख़त्म करते हैं…कितना अच्छा लगता है न ये सब!

पर इन सबके बीच हम कभी ऐसा क्यों नहीं करते कि घर की सफाई के साथ-साथ अपने मन को…अपने वचारों को भी साफ़ करें, उनमे भी स्वच्छता और शुद्धता का प्रवाह करें…पुराने अनुपयोगी विचारों को बाहर करों और नए उर्जावान और सकारात्मक विचारों से अपने मन को अपने चिंतन को सजाएं!

ऐसा करके तो देखें दीपावली का आनंद कई गुना बढ़ जाएगा।

मित्रों, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि बाहरी स्वच्छता ही नहीं आंतरिक स्वच्छता भी महात्वपूर्ण है। कमोबेश हमारे मन की स्थिति भी सामान जैसी ही रहती है। उसमें अच्छे-बुरे, उपयोगी-अनुपयोगी असंख्य विचारों का तांता लगा रहता है। विचारों का प्रवाह इतना तीव्र होता है कि हमें पता ही नहीं चलता कि कौन सा विचार उपयोगी है और कौन सा नहीं। इसके कारण हमारे लक्ष्य हमेशा अस्पष्ट रहते हैं जीवन में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाती।

जिस प्रकार इस भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में हमें रोज विधिवत सफाई का मौका नहीं मिलता वैसे ही हमें अपने विचारों को भी सकारात्मक बनाने का भी अलग से वक़्त नहीं मिलता… इसलिए दिवाली का ये समय ऐसा करने का सबसे अच्छा अवसर है…क्योंकि इस समय हर तरफ स्वच्छता पर जोर होता है…हमारा पूरा वातावरण, आस-पड़ोस हर एक चीज साफ़-सुथरी और शुद्ध होने का प्रयास कर रही होती है…यह एक तथ्य भी है कि बाहरी वातावरण का प्रभाव हमारे अन्दर की सोच पर भी पड़ता है. अतः जब बाहरी वातावरण में सकारात्मकता हो तो यही समय अपने अन्दर की सफाई के लिए भी सबसे अच्छा है।

कैसे करें मन की सफाई?

हर बार दीपावली पर जब आप घर या ऑफिस की सफाई शुरू करें तो कुछ समय अपने लिए भी निकालें…और अपने मन से निगेटिव थॉट्स को बाहर निकालने और पॉजिटिव थॉट्स को अन्दर लाने का प्रयास करें.

उदाहरण के लिए-

अगर आप अक्सर सोचते हैं कि आप अनलकी हैं तो तुरंत इस विचार को पकड़ें और खुद से कहें – ये एक नकारात्मक विचार है और आज मैं इसे अपने मन से निकाल रहा हूँ…आज मैं इसे हटा कर अपने मन की सफाई कर रहा हूँ…और फिर इस विचार को निकाल कर एक नया विचार मन में बैठाएं कि –

मैं लकी हूँ

इसे बार-बार दोहराएं और कहें, “मैं लकी हूँ…मैं लकी हूँ…मैं लकी हूँ…” और फिर अपने महा शक्तिशाली मन से पूछें- “बताओ मैं लकी क्यों हूँ?”

तब आपका पावरफुल माइंड ऐसे कई कारण गिना देगा जो साबित कर देंगे कि आप लकी हैं. जैसे कि-

मैं इसलिए लकी हूँ क्योंकि –

  • मैं दुनिया में करोड़ों लोगों से अच्छी स्थिति में हूँ…
  • मैं चल-फिर सकता हूँ…देख-सुन सकता हूँ….
  • मेरा प्यारा सा परिवार है…
  • मेरे पास नौकरी है…
  • etc.

क्या एक बार ऐसा कर लेने से ये नकारात्मक विचार मन से हमेशा के लिए निकल जाएगा?

नहीं, दिवाली पर साफ़ की हुई धूल भी तो कुछ दिनों बाद फिर से जमना शुरू हो जाती है, लेकिन तब उसे साफ़ करने में अधिक मेहनत नहीं लगती थोड़ी सी डस्टिंग से सतह साफ़ हो जाती है। इसी तरह जब दीपावली क अवसर पर आप एक बार अपने मन से किसी नकारात्मक विचार को निकाल देंगे तो पुनः उसके आने पर उस पर काबू करना आसान होगा।

अंत में यही कहना चाहूँगा कि इस दीपावली पर घर-आँगन में दीपकों के साथ-साथ मन में सकारात्मक दृष्टिकोण का भी दीप जलाएं।

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