एक सामान्य व्यक्ति भी भीड़ से अलग नजर आ सकता है, यदि वह एक अच्छा वक्ता हो! यदि आप ग्रुप सेमिनार, किसी मीटिंग, या स्टेज पर जाने के नाम से डरते हैं, भीड़ को संबोंधित करने का सोचकर आपके पैर कांपते हैं, या जब आप सामने वाले तक अपनी बात पहुंचाते हैं तो वह आपकी बातों को इग्नोर कर देता है.. तो ये आर्टिकल आपकी मदद कर सकता है।
तो आईए जानते हैं एक अच्छा वक्ता बनने के 17 तरीके :
1) तैयारी करें :
ये पहला और सबसे ज़रूरी पॉइंट है . आप जिस विषय पर, जिस जगह और जिस समूह के सामने स्पीच देने वाले हैं , उसके according आपकी तैयारी होनी चाहिए। तैयारी करने के लिए खुद को पर्याप्त समय दें , google , अख़बारों , लाइब्रेरी का पूरा प्रयोग करें और जबरदस्त कंटेंट तैयार करें, मिरर के सामने उसकी rehearsal करें , हो सके तो अपने speech की recording कर के सुनें और गलितयों को सुधारें . याद रखें आप चाहे कितना अच्छा बोलना क्यों न जानते हों , अगर आपका कंटेंट अच्छा नहीं है तो बात नहीं जमेगी .
तैयारी की महत्ता आप अब तक के महानतम लेखकों और ह्यूमरिस्ट में से एक मार्क ट्वेन के इस कथन से भी समझ सकते हैं :
“It usually takes me more than three weeks to prepare a good impromptu speech.
“आमतौर पे मुझे बिना तैयारी के दिए जाने वाले भाषण को तैयार करने में तीन हफ्ते लगते हैं.”
2) ये सोचें कि आपको सफल होकर आना है :
सफलता का सबसे बड़ा सूत्र यही है कि आप कभी भी हार न माने. हार के बारे में सोंचे भी नहीं.. हम दिमाग के लिए जैसे मैसेज टाइप करते हैं, या दिमाग को जैसे इनपुट देते हैं, उसी के according हमें output प्राप्त होता है, और हम वैसा ही कार्य करते हैं.. यदि हम दिमाग को लगातार असफलता और हार का सन्देश देंगे तो हमारी हार निश्चित है इसका उल्टा भी उतना ही सही है.. इसलिए दिमाग और मन को हमेशा सफलता और आत्मविश्वास का सन्देश दीजिए इससे output के रूप में आप हमेशा प्रसन्न रहेंगे और शरीर भी उसी के अनुरूप आगे बढ़ने को तैयार होगा.. यदि आप हमेशा और हर बार खुद से यह कहें कि “आप इसे यकीनन कर सकते हैं, आपके अंदर वो quality है, तो आप उसे सफलता से पूरा कर लेंगे..” इसलिए खुद पर यकीन करते हुए पूरे आत्मविश्वास के साथ श्रोताओं के सामने अपने विचार प्रकट कीजिये, यकीनन आप श्रोताओं का दिल जीत सकते हैं .
3) श्रोताओं से जुड़ें :
हमेशा श्रोताओं से जुड़ने का प्रयास कीजिये, यदि आप पहले भी कभी उनके शहर में आ चुके हों तो उन बातों को दोहराइए, उस शहर के यादगार लम्हों को उनके सामने रखिये. उस स्थान के दुर्लभ स्मारकों की बात कीजिये. यदि उस अनगिनत की भीड़ में भी आप कुछ लोगों को जानते हों और वे प्रतिष्ठित हों, तो उनका आदरपूर्वक जिक्र कीजिये.
हमेशा ऐसी बातें करने का प्रयास कीजिये जैसे आप खुद उस शहर से बहुत दिनों से जुड़े हों, उन लोगों के प्रति आपके दिल में बहुत प्यार और स्नेह है और आप खुद भी उस शहर से बेहद प्यार करते हैं. ये बातें जितना अधिक आपके ह्रदय से निकलेंगी उतना ही श्रोता आपको पसंद करंगे , बनावटी बातें किसी को पसंद नहीं आतीं। और जितना ज्यादा श्रोता आपको पसंद करंगे, उतना ही अधिक वो आप पर विश्वास करेंगे.
बातों को अच्छे ढंग से कहने का प्रयास कीजिये.
जैसे ये कहने की बजाये:- यदि तुम्हें तुम्हारा यह शहर खूबसूरत बनाना है तो तुमको प्रदुषण हटाना ही होगा!
इसे अलग शब्दों में पिरोकर यह कहिये:- यदि हमें हमारे इस शहर को खूबसूरत बनाना है तो हम सबको मिलकर प्रदुषण हटाना होगा..
4) भाषण बिना देखे बोलें :
अगर एक प्रभावी वक्ता बनना है तो आपको बिना देखे बोलना आना चाहिए . Of course आप अपने साथ कुछ notes रख सकते हैं , या पूरा का पूरा भाषण भी type कर के ले जा सकते हैं . पर आपकी practice इतनी होनी चाहिए कि सुनने वाले को ये लगे कि आप बोल रहे हैं पढ़ नहीं रहे हैं .
Again, बिना देखे खराब भाषण देने से अच्छा है देख कर सही बातें बोली जाएं . इसलिए अगर आप बिना देखे बोलने में comfortable नहीं हैं तो किसी बड़े occasion पर इसे try करने के बजाये छोटे-मोटे अवसरों पर ऐसा करने का attempt कर सकते हैं . Practice से कुछ भी सीखा जा सकता है , इसलिए एक प्रभावशाली orator बनने के लिए आपको बिना देखे बोलने की कला में पारंगत होना होगा .
5) Eye contact बनाये रखें :
एक अच्छा speaker speech देते वक़्त हमेशा audience की आँखों में देखता है , ऐसा करने से उसके self-confidence का पता चलता है। आप भी इस बात का पूरा ध्यान रखें कि आप इधर – उधर देखने की बजाये श्रोताओं को देखें . और ये भी ध्यान दें कि आप एक ही तरफ ये कुछ विशेष व्यक्तियों को ही नहीं देख रहे बल्कि बारी-बारी पूरे group से नज़र मिला रहे हैं .
6) रुचि की बात करिये :
यदि आप एक सफल वक्ता बनना चाहते हैं, तो आपको श्रोता की पसंद का हमेशा ध्यान रखना चाहिए. जब आप श्रोता को एक दोस्ताना माहौल देते हैं, उनके व्यवसाय, उनकी समस्याओं, की बात करते हैं तो श्रोता को कभी भी अकेलापन महसूस नहीं होता. आपकी जिंदगी के छोटे-छोटे किस्से और उनकी जिंदगी से जुड़ी बातें, छोटी-छोटी खुशियों के पल, जब आपकी भाषण के बीच में आते हैं तो श्रोता को आपको अपनाने में देर नहीं लगती.. यदि आप श्रोताओं, संस्था या उस समाज की किसी विशिष्ट उपलब्धि की चर्चा उनके सामने करते हैं, तो प्रतिक्रिया में उनके मुँह खुले के खुले रह जाते हैं, क्योंकि वे सुनकर हैरान हो जाते हैं कि सब वक्ता को पता कैसे चला!
7) गलती हो जाने पर घबराएं नहीं :
Speech के बीच में कुछ गलत pronounce कर देना या अटक जाना कोई गलत बात नहीं है , बशर्ते आप इस situation को smartly handle कर लें . ऐसे मौकों पर आप इसे हास्य का मोड़ भी दे सकते हैं , या सीधे -सीधे , “माफ़ –कीजियेगा ” बोल कर speech जारी रख सकते हैं . सभी जानते हैं कि stage पर जाकर बोलना इतना आसान नहीं होता ऐसे में छोटी -मोटी गलतियां होना स्वाभाविक है और इसके लिए घबराने की ज़रुरत नहीं है .
8) निंदा से हमेशा बचें :
श्रोताओं या उनसे जुड़ी चीजों की निंदा करने से बचें , जब आप अपना भाषण दे रहे हों तो आपका पूरा ध्यान श्रोताओं पर होना चाहिए और इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि आपके मुँह से निकली बात सामने वाले पर पूरा प्रभाव डालेगी. कई बार हम किसी क्षेत्र और वहाँ की अव्यवस्थाओं पर कड़े और तीखे भरे स्वर में निंदा कर देते हैं, लेकिन इसी निंदा के बदौलत हम श्रोताओं के दिल में जगह नहीं बना पाते! यदि आपने कभी कहा कि यहाँ के श्रोता समर्थन नहीं दे रहे, या कहा कि यहाँ टैलेंट की कमी नहीं लेकिन यह शहर टैलेंटेड लोगों के लिए ठीक नहीं है तो श्रोताओं के नाराज होने की संभावना बहुत बढ़ जायेगी. यह भी हो सकता है कि वे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण ही न रख पायें और वहाँ आपको अपमान भी सहना पड़ जाये !
देखिये , आप निंदा करके रातों -रात चीजों को बदल नहीं सकते , इसलिए किसी कमी पर ध्यान केंद्रित करने की बजाये उस कमी को दूर करने के उपायों पर बात करना सही होगा , और यही आपके श्रोताओं को भी अच्छा लगेगा।
9) प्रशंसा से दिल जीतें :
श्रोताओं का दिल खोलकर वास्तविक प्रशंसा करें, क्योंकि प्रशंसा ही दिल को जीतने का सबसे अच्छा माध्यम है. श्रोता बहुत समझदार होते हैं , उन्हें मख्खनबाजी और वास्तविकता का फर्क बहुत अच्छे से पता होता है.. यदि आप किसी College में Speech देने के लिए गए हैं और आप स्टुडेंट्स से कहते हैं:- “आप सब दुनिया के सबसे अच्छे स्टुडेंट्स हैं” या “आपके जैसे अच्छे और होनहार स्टूडेंट हमने आजतक नहीं देखा” तो बच्चे समझ जायेंगे कि आप सिर्फ मख्खन लगा रहे हैं!
लेकिन यदि आप कहते हैं :- “बच्चों आप सबको देखकर मुझे मेरे कॉलेज लाइफ की याद आ गयी. आप सबने इतने अच्छे से मेरा स्वागत किया, मेरे माथे पर तिलक लगाया. यह मुझे बहुत ज्यादा हृदयस्पर्शी लगा. पुरानी यादें ताजा हो गयीं, मेरी माँ मेरे माथे पर तिलक लगाया करतीं थीं आप सबने मुझे उनकी याद दिला दी इसके लिए धन्यवाद!”
तो ये उन्हें अच्छा लगेगा। इस प्रकार से आप सिर्फ दो टूक शब्दों में प्रशंसा के माध्यम से श्रोताओं का दिल जीत सकते हैं..
10) दीनता या माफ़ी से कभी शुरूआत न करें :
कई लोग स्टेज पर जाते ही नर्वस फील करते हैं ऐसे में बहुत लोगों की शुरूआत माफ़ी से होती है. वो ऐसी लाइनों से शुरूआत करते है, “मैं यहाँ आने के काबिल भी नहीं था लेकिन आपने मुझे यहाँ आमंत्रित किया” या “मेरे जैसे छोटे आदमी को आपने इतना सम्मान दिया” या “मैं माफ़ी चाहता हूँ कि इतने दिनों तक यहाँ उपस्थित न हो पाया..”
यदि आप अपनी Speech माफ़ी मांगने या दीनता दिखाते हुए शुरू कर रहे हैं तो आप सिर्फ श्रोताओं के समय को बर्बाद कर रहे हैं. इससे सामने वाले पर अच्छा प्रभाव कभी भी नहीं पड़ता. आपको जिस उद्देश्य के लिए invite किया गया है उस Topic पर बात कीजिये और विदा लीजिए. यदि आपको किसी कारण से माफ़ी मांगनी भी है तो speech के बीच में सरल शब्दों में अपनी बात कह दीजिए लेकिन भाषण की शुरूआत कभी भी माफ़ी मांगने के साथ मत कीजिये .
11) एक सामान्य व्यक्ति बनकर अपनी बात कहें :
कुछ लोग स्टेज पर जाते ही खुद को बड़ा समझने लगते हैं और सुनने वाले को एकदम सामान्य! आप श्रोताओं को कभी खुद से कम मत आंकिये क्योंकि श्रोता आपको सुनने के लिए उपस्थित हैं इस कारण आप स्टेज पर खड़े हैं. बड़ी-बड़ी बातों से डींगें हांकने की जगह साधारण इंसान की तरह सामान्य शब्दों में अपनी बात श्रोताओं तक पहुंचाइए. इस बात का ध्यान मन में हमेशा होना चाहिए कि बड़ी-बड़ी और साहित्यिक बातें सिर्फ प्रशंसा के लिए अच्छी लगती हैं परन्तु सामान्य बातें सीधे श्रोता के दिल पर असर डालती हैं. बड़ा व्यक्ति जितना ज़मीन से जुड़कर बात कहता है उतनी ही ज्यादा वह प्रसिद्धि हासिल करता है..
12) नकल का नहीं अकल का करें इस्तेमाल :
कई लोग दूसरों के स्पीच की नकल को हुबहू श्रोताओं तक पहुँचाते हैं लेकिन जो श्रोता उसी स्पीच को सुन चुके हैं उसे सुनने के लिए वो दोबारा अपना समय नष्ट नहीं करेंगे. इसलिए अपने अक्ल और मन से काम लीजिए. शब्दों में सादगी के साथ अपने भाषण की शुरूआत कीजिये. किसी भी भाषण में अपने स्वयं की अलग पहचान बनाने का प्रयास कीजिये. आपकी फीलिंग्स जो आपके दिल और शरीर को एक सामान्य सी अवस्था में व्यक्त करता है, वे सब दूसरों की नकल से कभी भी पैदा नहीं हो सकतीं हैं.. इसलिए जितना अच्छा हो सके स्टेज पर खुद की छवि बनाने का प्रयास करें।
13) ह्यूमर का प्रयोग करें :
अच्छे वक्ताओं का एक बहुत बड़ा हथियार होता है Humour या हास्य . भाषण में बीच -बीच में हास्य का प्रयोग श्रोताओं को बांधे रखता है और गंभीर विषयों को भी नीरस होने से बचाता है . हास्य का एक अहम पहलु है , “खुद पर हंसना”, ऐसा करना आपके व्यक्तित्व की विनम्रता को उजागर करता है. आपसे सम्बंधित कोई मजाकिया अनुभव श्रोताओं के बीच रखकर आप माहौल को खुशनुमा बना सकते हैं .
Humour का एक dark side भी है , अगर आपकी timing सही नहीं है तो audience पर इसका उल्टा असर भी हो सकता है . इसलिए अगर आप इस कला में निपुण हो तो जबदरदस्ती try न करें . और ये भी ध्यान रखें कि कभी किसी religion, race, sex, etc, को लेकर कोई मज़ाक न करें .
14) हमेशा उत्साहित रहें और श्रोताओं को उत्साहित करें:
आपको जिस Topic पर Speech देने के लिए बुलाया गया है उस विषय पर हमेशा खुद को Positive रखिये. आपका पूरा उत्साह आपकी बातों और शरीर से झलकता हुआ प्रतीत होना चाहिए. आपने कभी नीलामी होते हुए जरूर देखा होगा, वहाँ मुख्य वक्ता किस तरह से पूरे उत्साह से भरकर बोली लगाता है कि देखते ही देखते वो सबको अपनी ओर इतना आकर्षित कर देता है कि लोग अपनी हैसियत से ऊँची बोली लगा बैठते हैं.. जब भी आप अपना भाषण श्रोताओं तक पहुँचाने वाले हों तो स्वयं को उत्साह के चरम सीमा पर लेजाइये.. आपका आत्मविश्वास और उत्साह लोगों के दिल में आपकी जगह सुरक्षित कर देगा.
15) दिए गए वक्त में भाषण पूरा करें :
कई बार लोग शुरुआत तो अच्छी करते हैं पर अपनी बात को इतना खींचते चले जाते हैं कि श्रोता बोर हो जाते हैं। कम शब्दों में अपनी बात कहना एक कला है , और एक अच्छा वक्ता इस बात को बखूबी जानता है. इसलिए आपको भाषण के लिए जितना समय दिया गया है उतने में ही अपनी बात पूरी करिये। याद रखिये एक अच्छा वक्ता वो नहीं होता जो सिर्फ अच्छी तरह भाषण शुरू करना जानता है , बल्कि वो वो होता है जो सही समय पर रुकना भी जानता है।
16) Thanks करना न भूलें :
Gratitude दुनिया की सबसे अच्छी feelings में से एक है . Speech के अंत में आयजकों , sponsors, श्रोताओं , इत्यादि के सहयोग के लिए उन्हें धन्यवाद करना न भूलें . सब कुछ अच्छा करने के साथ -साथ अगर आप दिल से लोगों को धन्यवाद देते हैं तो ये सोने पे सुहागा जैसा काम करता है , इसे कभी मिस ना करें .
17) अंत भला तो सब भला : भाषण का अंत प्रभावशाली होना चाहिए . स्पीच के अंत में लोगों में जोश पैदा होना चाहिए, या उन्हें अच्छा feel होना चाहिए। कई नेता इसके लिए अंत में जय हिन्द या वन्दे मातरम जैसे नारे लगवा देते हैं। ऐसा हर जगह तो नहीं किया जा सकता पर आप कुछ शेरो-शयरी या कोई अच्छा सा quote तो use कर ही सकते हैं। Speech को positive note पे end करना उसे यादगार बना देता है और लम्बे समय तक लोग उसे याद रखते हैं . अतः भाषण का अंत कैसे हो इसपर विशेष ध्यान दें .
Friends, आज आप चाहे जैसे भी वक्ता हों , practice, patience और preparation से आप एक उच्च स्तर के वक्ता बन सकते हैं . तो चलिए इन बातों का ध्यान रखते हुए अपने efforts में जुट जाइए और महान वक्ताओं की श्रेणी में खुद भी शामिल हो जाइए .
Thanks & All the best !
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