हम सभी अपने जीवन में खुश रहना चाहते हैं, पर हम सभी अपने जीवन में दुख पाते हैं। इस संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो यह कह सके कि उसे अपने जीवन में कभी कोई दुख नहीं मिला। इस संसार में जो लोग खुश रहते हैं, वह इसलिये क्यों कि दुख के प्रति उन्होंने अपना नजरिया बदल लिया हैं।
तो चलिये जानते हैं 5 ऐसे उपायों के बारे में जिन्हें अपने जीवन में अपनाकर हम में खुश रह सकते हैं:
1. अपनी अनियन्त्रित इच्छाओं का त्याग :
हमारे जीवन में इच्छाओं (Desires )का बोलबाला है। हमारे मन में अनेकों इच्छायें हैं, जिन्हें हम पूरा करना चाहते हैं। और जब वे पूरी नहीं होती, तो हम निराश होकर दुखी हो जाते हैं। इच्छाओं का जाल इतना प्रचण्ड है कि मरते समय भी अन्तिम इच्छा रह ही जाती है। इसका मतलब यह नहीं हैं कि हम अपनी सारी इच्छायें त्याग दें। हमें तो बस अपनी इच्छाओं को अनियन्त्रित होने से बचाना है।
हमे अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं में अन्तर समझना होगा। और यदि आपके प्रयास के बाद भी आपकी कोई इच्छा पूरी नहीं हो पा रही हैं, तो दुखी मत हों। आप बिना दुखी हुए उत्साह के साथ लगातार प्रयास करते रहें। हमें अपने जीवन को सरल और साधारण बनाना है। क्योंकि जितना सरल और साधारण हमारा जीवन होगा उतनी ही हमारी इच्छायें कम होंगी और हम खुश रह सकेंगे।
और यदि आप इच्छाओं को कम करने में सहज नहीं है तो कम से कम उसे अपनी ख़ुशी से मत जोड़िये… पूरी हुईं तो अच्छा नहीं हुईं तो भी अच्छा …मैं तो खुश रहूँगा।
2. आशाओं का त्याग :
हम अपने जीवन से बहुत सारी आशायें ( Expectations )लगा लेते हैं। हम अपने बच्चों से, अपने मित्रों से, अपने परिवार जनों से बहुत सी आशायें लगा लेते हैं। और जब वे हमारी आशाओं के अनुसार काम नहीं करते तो हमें दुख होता है।
हम अपने मित्रों की मदद करते हैं और सोचते हैं कि जब मुझे जरूरत पड़ेगी तब यह मेरा मदद करेगा। परन्तु जब आपको जरूरत पड़ी और मित्र ने आपकी मदद नहीं करी, तो आप दुखी हो जाते हैं। इसलिये आप आशायें मत पालें। अगर आपने दूसरों के साथ अच्छा किया है तो आपके साथ भी अच्छा ही होगा, पर ये अच्छा कौन कब कैसे करेगा ये ईश्वर पर छोड़ दें। आपने किसी के साथ अच्छा किया ये आपका स्वभाव है, दुसरे ने जो कुछ किया ये उसका स्वभाव है. आशायें न पालने से यदि आपके साथ अच्छा नहीं भी होगा तो भी आप खुश रह सकेंगे। प्रसन्न रह सकेंगे।
3. कटु अनुभवों का त्याग करें :
हम सभी के जीवन में बहुत सारे कटु अनुभव होते हैं। परन्तु इन्हें जितनी जल्दी आप अपने मन से निकाल देंगें, उतना ही आप खुश रह सकेंगे।
मैंने कुछ लोगों को कहते सुना है कि उस व्यक्ति नें मेरा इतना अपमान किया है कि मैं उसे अब जिन्दगी भर नहीं भूल सकता। यदि आप उसे जिन्दगी भर नही भूल सकते तो आप अपना ही नुकसान कर रहे हैं। हो सकता है कि वह व्यक्ति जिसने वह बात कही है, वह उसे भूलकर शान्ति से रह रहा हो और आप उसे अपने मन में भरे-भरे प्रतिशोध की भावना को आश्रय देते रहें और लगातार अपने को दुखी बनाते रहे। इसलिये अपने जीवन के कटु अनुभवों को अपने मन से जल्द से जल्द निकाल देना चाहिए।
याद रखिये कटु अनुभव उस तेज़ाब की तरह हैं जो उस पात्र को ही बेकार आकर देते हैं जो उन्हें धारण करता है. इसलिए इन्हें भुलाइये और जीवन में आगे बढिए, खुशाल जीवन आपकी ओर बाहें फैलाए खड़ा है!
4. वर्तमान में जीने की आदत डालें :
हम भूत में जो कुछ कर चुके हैं उसे बदल नहीं सकते। हमें उसका परिणाम भोगना ही होगा। तो वह परिणाम अच्छा या बुरा जैसा भी हो हँसकर उसे स्वीकार करें। भविष्य की चिन्ताओं में भी न डूबें क्योंकि भविष्य वर्तमान के परिणामों का ही फल है।
आपके हाथ में सिर्फ वर्तमान हैं, उसका भरपूर उपयोग करें। आपका भविष्य अपने आप ही अच्छा हो जायेगा। जो क्षण अभी चल रहा बस इसका अच्छे से अच्छा उपयोग करें और इसी क्षण प्रसन्न रहने की कोशिश करें। यदि आप ये कर पाते हैं तो आपकी बाकी की ज़िन्दगी का एक बड़ा हिस्सा प्रसन्नता के साथ व्यतीत होगा।
5. जितना हो सके दूसरो की मदद करें :
अपने जीवन में नियमित रूप से दूसरों की मदद करने का प्रयास करें। कहते हैं न -” Art of living is Art of giving”
जब हम दूसरों की मदद करना शुरू करते हैं , तो हम देखते हैं कि जितना दुखी हम हैं, इस संसार के कई लोग उससे भी अधिक दुखी हैं। और फिर यदि हमारे एक प्रयास से किसी के चहरे पर मुस्कान आती है, तो उससे हमें जो खुशी मिलती है उसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण माँ का है। माँ जब एक बच्चे को खाना खिलाती है तो वह स्वयं खाना नहीं खा रही होती, पर उस बच्चे को खाते हुए देखते समय उसे जो सन्तुष्टि और खुशी मिलती है उसे एक माँ ही समझ सकती है।
तो मित्रों जीवन अमूल्य है। इसे जटिल ना बनायें। इसे सरल बनायें और अपने प्रत्येक क्षण का भरपूर प्रयोग करते हुए हमेशा प्रसन्न रहें, दूसरों की मदद करते रहें। खुश रहें।
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