एक बड़े ही विख्यात और पहुंचे हुए संत से एक शिष्य ने अपना भविष्य जानना चाहा। वह प्रातः काल ही उनके समक्ष पहुंचा और बोला,” हे गुरुवार, आप तो अन्तर्यामी हैं, कृपा करके बताएं कि मेरा भविष्य कैसा होगा ?”
संत बिलकुल शांत बैठे रहे और अपनी आँखें मूंद लीं, मानो भविष्य में झाँक रहे हों। कुछ समय बीत जाने पर शिष्य ने पुनः वही प्रश्न किया, ” बताइए न गुरुवर मेरा भविष्य कैसा होगा ?”
संत ने आँखें खोलीं और बोले,” मैं तुम्हारा भविष्य एकदम स्पष्ठ देख रहा हूँ, वो जैसा तुम चाहोगे वैसा ही होगा।”
मित्रों, हमारा भविष्य हमारी सोच से निर्मित होता है। हम अपनी सोच से ही जीवन में जीत हासिल कर सकते हैं और हार भी, शिखर पर पहुँच सकते हैं और निराशा के गर्त में भी । सब कुछ हमारी सोच पर ही निर्भर होता है कि आखिर हम चाहते क्या हैं।
बुद्ध कहते है –
हम जो सोचते हैं, वो हम बन जाते हैं।
यानि अगर हम अपनी सोच को बदल दें, तो सब कुछ बदल जायेगा।
दुनिया में कुछ ही लोग सम्मान, ख़ुशी, दौलत, समृद्धि, और सफलता क्यों हासिल कर पाते हैं; जबकि अधिकतर लोग एक औसत जीवन ही जी पाते हैं?
इसकी वजह क्या है? ऐसा क्यों होता है?
क्या आप ने कभी इस बारे में सोचा है कि अधिकतर लोगों के पास सफलता, उपलब्धि, दौलत, ख़ुशी यह सब चीजे क्यों नहीं हैं?
क्योंकि दुनिया में अधिकतर लोग दूसरे की सफलता के बारे में अधिक सोचते हैं, और अपने बारे में कम। जिसकी वजह से वे स्वयं असफल रह जाते हैं। दूसरों के सफलता के बारे में जानना व समझना अच्छी बात है पर अपनी सफलता के बारे में ना सोचना बुरी बात है।
शायद आप सोच रहे हैं कि अगर सोचने से ही इंसान सफल हो सकता है तो इतने कम लोग सफल क्यों होते हैं ?
क्योंकि अधिकतर लोग सोचते ही नहीं हैँ।
हेनरी फोर्ड कहते है -
सबसे मुश्किल काम है सोचना, शायद यही कारण है कि इसमें इतने कम लोग लगे होते हैं।
हाँ, ये सच है, लोग सोचते ही नहीं!
आप खुद सोचिये कि रोज की आपा-धापी में भागम-भाग में आप अपने सपनो को लेकर कितना सोचते हैं, कितना लिखते है ? एकदम ही नहीं या नहीं के बराबर, isn’t it?
दोस्तों, जिस तरह से पृथ्वी के गर्भ में अनेक बहुमूल्य खनिज तत्व छिपे हुए है, जो बाहर से दिखाई नहीं देते, इनके बारे में आसानी से कोई अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता कि वे किस जगह पर स्थित है। इसके बावजूद मनुष्य पृथ्वी के भीतर से उन बहुमूल्य तत्वों को अपने प्रयासों से ढूंढ निकलता है।
ठीक उसी तरह प्रत्येक मनुष्य के मस्तिष्क में अदभुत प्रतिभा का खजाना छुपा हुआ है। बस जरुरत है मस्तिष्क में छिपे उस खजाने का पता लगाने की। जो लोग इस खजाने का पता लगा लेते है, वे कामयाबी की सीढ़ी चढ़ते चले जाते हैं। और जो इस खजाने को यूँही छोड़ देते हैं वे जिंदगी भर हैरान-परेशान से रह जाते हैं।
जॉन मिल्टन कहते है-
मस्तिष्क भी बहुत अदभुत स्थान है , यह स्वर्ग को नर्क में और नर्क को स्वर्ग में बदल सकता है।
मस्तिष्क में छिपे खजाने को तलाश करने के लिए बहुत परेशान होने की जरुरत नहीं होती है। सिर्फ आपकी सोच ही इसे हासिल करवा सकती है। सोच इतनी शक्तिशाली होती है कि अगर इसके साथ लक्ष्य, लगन और प्रबल इच्छा जुड़ जाये तो आप दुनिया की कोई भी वस्तु हासिल कर सकते हैं। आपकी सोच ही आपको सफलता की मंजिल तक ले जाती है। यदि आप के पास सोच नहीं है तो समझ लीजिये आप के पास कुछ नहीं है। सोच के बिना आप उस चीज को हासिल नहीं कर सकते हैं जिसे आप पाना चाहते है।
आपकी सोच आपका विचार , आपका लक्ष्य, आपका विश्वास ही आपको उस उंचाई तक पंहुचा सकता है जिस उंचाई पर आप पहुंचना चाहते हैं।
जीवन में सफलता पाने का सबसे सरल तरीका है अपनी सोच को सफलता की दिशा में मोड़ना। इसलिए इस बारे में सोचना शुरू करिए, भगवान् की दी हुई इस अद्भुत शक्ति के बेकार मत जाने दीजिये, अपने सपनो को अपनी सोच की शक्ति से सच कर दिखाइए !
धन्यवाद्!
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