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सौर मंडल के ग्रह Solar System Planets in Hindi

 

इस लेख में हिंदी में सौर मंडल के ग्रह (Solar System Planets in Hindi) के विषय में आसान शब्दों में जानकारी दी गई है। इसमें सौर मंडल क्या है, ग्रह किसे कहते हैं, सभी ग्रह के नाम, उनकी विशेषता और अन्य महत्वपूर्ण तथ्य व जानकारी के विषय में चर्चा किया गया है। 

सौर मंडल क्या है? Solar System in Hindi

यह ब्रह्मांड कई रहस्यमई चीजों से भरी पड़ी है। विज्ञान अब तक केवल पृथ्वी और आसपास के कुछ ग्रहों के विषय में ही थोड़ी बहुत जानकारी इकट्ठा कर पाया है।

सौर मंडल जो स्वयं रहस्यमई चीजों का भंडार है, यहां सबसे शक्तिशाली ऊर्जा का स्त्रोत सूर्य को माना जाता है।

सूर्य के चारों तरफ भ्रमण करने वाले ग्रह, उपग्रह, धूमकेतु, उल्का पिंड, आकाशीय पिंड और कई सारे क्षुद्र ग्रहों के समूह को सौरमंडल कहा जाता है। ग्रहों को कुल दो भागों में बांटा गया है, जिसमें आंतरिक ग्रह और बाह्य ग्रह का समावेश होता है। 

आंतरिक ग्रहों में बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल जैसे ग्रहों का समावेश होता है। वहीं बाह्य ग्रहों में बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण समहित हैं। इन परंपरागत ग्रहों के अलावा सौरमंडल में बहुत सारे बौने ग्रह और लघु ग्रह भी पाए जाते हैं।

पहले प्लूटो को भी ग्रहों की श्रेणी में रखा जाता था, लेकिन वर्ष 2006 में प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से निकालकर बौने ग्रहों की श्रेणी में डाल दिया गया। एरिस (Eris), मेकमेक (Makemake), हुमा (Haumea) और सेरेस कुछ अन्य महत्वपूर्ण बौने ग्रह हैं।

ग्रह किसे कहते हैं? What is a Planet?

ऐसे विशाल खगोलीय पिंड जो कक्षा में अपनी निश्चित धुरी पर भ्रमण करते हुए सूर्य के चारों तरफ परिक्रमा करता हो तथा जिनमें स्वयं अपना प्रकाश और ऊष्मा नहीं होता वह सामान्य तौर पर ग्रह कहलाते है। 

ब्रम्हांड में स्थित ये सभी ग्रह आकार में अलग-अलग होते हैं। कुछ बहुत ही विशाल तो कुछ सामान्य होते हैं। ये तारों के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं, क्योंकि इनमें खुद कोई भी प्रकाश नहीं होता है।

अंग्रेजी भाषा में ग्रहों को प्लेनेट कहा जाता है, जो कि एक ग्रीक शब्द प्लेनेटाई से बना हुआ है। इसका अर्थ होता है- परिभ्रमण अथवा सूर्य के चारों तरफ परिक्रमा करने वाला।

सभी ग्रह के नाम, उसकी विशेषता और अन्य महत्वपूर्ण तथ्य व जानकारी

अगस्त 2006 में चेक रिपब्लिक देश की राजधानी प्राग में आयोजित किए गए अंतरराष्ट्रीय खगोल शास्त्रीय संगठन के कार्यक्रम में ग्रहों के विषय में कई जानकारियां प्रकाशित किया गया। 

वैज्ञानिकों के मुताबिक खगोलीय पिंड केवल उसे कहा जा सकता है, जो सूर्य के चारों तरफ परिक्रमण करता हो, स्वयं उसके पास बहुत सारे खगोलीय पिंडों की भीड़ ना हो तथा खगोलीय पिंड के पास गुरुत्वाकर्षण हो जिसके सहायता से वह अपनी संरचना को कायम रख सकता हो। 

अंतरराष्ट्रीय खगोल शास्त्र संगठन International Astronomical Union (IAU) के मुताबिक ग्रहों को कुल दो अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिनमें आंतरिक ग्रह अथवा पार्थिव ग्रह और बाह्य ग्रह का समावेश होता है।

IAU के अनुसार ग्रहों की कुल संख्या को घटाकर आठ कर दिया गया है, जिनमें निम्न लिखित ग्रहों का समावेश होता है –

1. बुध (Mercury)

 बुध ग्रह सूर्य से बेहद नजदीक का ग्रह है। यह सौरमंडल का प्रथम और सबसे छोटा ग्रह भी है। बुध ग्रह का कोई भी उपग्रह नहीं है। यहां वायुमंडल न होने के कारण जीवन संभव नहीं है। 

अपने चुंबकीय क्षेत्र के कारण बुध बेहद विशिष्ट ग्रह माना जाता है। आकार और द्रव्यमान के आधार पर चंद्रमा और बुध ग्रह में बहुत समानता देखी जाती है। 

यह लगभग 59 दिनों में अपनी दूरी पर एक परिक्रमा पूरी करता है। सूर्य की परिक्रमा करने में बुध को लगभग 87 दिन 23 घंटे जितना समय लगता है। इसकी सतह बेहद बड़े-बड़े चट्टानों से बनी हुई है। 

यह पूरे सौरमंडल में सबसे तेज गति से परिक्रमण करने वाला ग्रह है। सूर्य के सबसे निकटतम स्थित होने के कारण यह बेहद गर्म ग्रह है।

2. शुक्र (Venus)

पृथ्वी के सबसे निकटतम ग्रहों में शुक्र ग्रह भी आता है। सर्वाधिक गर्म होने के कारण इसकी सतह पर लाल धब्बे जैसा दृश्य दिखाई देता है। शुक्र को भोर अथवा सांझ का तारा भी कहा जाता है। 

सौरमंडल में सबसे धीमी गति से परिक्रमा करने वाले ग्रहों में शुक्र का भी समावेश होता है। इसे “प्रेशर कुकर” भी कहा जाता है। क्योंकि सूर्य के निकट होने के कारण यह बहुत गर्म ग्रह है। शुक्र ग्रह का कोई भी उपग्रह नहीं है। 

देखने में यह बेहद चमकीला और सुंदर है, जिसके कारण इसे प्यार एवं सुंदरता की देवी भी कहा जाता है। पृथ्वी के आकार और द्रव्यमान शुक्र ग्रह से बहुत मिलते जुलते हैं, जिसके कारण इसे ‘पृथ्वी की बहन’ या पृथ्वी की जुड़वा ग्रह भी कहा जाता है। 

शुक्र ग्रह शाम के समय पश्चिम दिशा तथा सुबह के समय में पूर्व दिशा में दिखाई पड़ता है। शुक्र ग्रह के वायुमंडल में लगभग 97% कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा है।

3. मंगल (Mars)

यहां आयरन ऑक्साइड की मात्रा बहुत ज्यादा है, जिसके कारण मंगल को “लाल ग्रह” भी कहते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार मंगल पर जीवन संभव हो सकता है। 

यहां कार्बन डाइऑक्साइड की प्रचुरता के कारण वायुमंडल बहुत ही विरल है। यहां बहुत विशाल और गहरे गड्ढे हैं, इसके अलावा कई ज्वालामुखी भी मंगल ग्रह पर स्थित है। 

मंगल के दो प्रमुख उपग्रह हैं- फोबोस और डीमोस। ‘ओलम्पस मोन्स’ मंगल ग्रह पर स्थित सबसे बड़ा ज्वालामुखी अथवा पहाड़ है।

4. पृथ्वी (Earth)

पृथ्वी पूरे सौरमंडल में इकलौता ऐसा ग्रह है, जहां अब तक जीवन संभव हो पाया है। दूरी के दृष्टि से तीसरे तथा आकार की दृष्टि से पृथ्वी पांचवा सबसे बड़ा ग्रह है। पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है। 

चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की औसत दूरी लगभग 400000 किलोमीटर जितनी है। यहां रहने योग्य केवल 29% स्थल तथा अन्य 71% जल समाया हुआ है। पृथ्वी पर जल की उपस्थिति बहुत ज्यादा होने की वजह से इसे ‘नीला ग्रह’ भी कहा जाता है। 

इसका औसत घनत्व लगभग 5.52 अर्थात जल के घनत्व के सापेक्ष जैसा है। पृथ्वी पर दैनिक गति के कारण ही दिन-रात और मौसम चक्र का आगमन होता है।

5. बृहस्पति (Jupiter)

सौरमंडल में यह आकार में सबसे बड़ा ग्रह है, जिसके कारण बृहस्पति को ‘मास्टर ऑफ गॉड्स’ भी कहते हैं। सूर्य की परिक्रमा करने में इसे लगभग 12 वर्ष का समय लगता है तथा केवल अपनी धुरी पर परिक्रमा करने में 10 घंटों का समय लगता है। 

बृहस्पति को ‘शीत ग्रह’ भी कहा जाता है, क्योंकि यहां का तापमान लगभग -130 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। इसके कुल उपग्रहों की संख्या सबसे अधिक है। ‘गैनिमीड’ बृहस्पति सहित पूरे सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है।

6. शनि (Saturn)

इस ग्रह को गैसों का गोला भी कहा जाता है। शनि को ‘छल्लो वाला ग्रह’ भी कहते हैं। सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह और निरी आंखों से दिखाई देने वाले ग्रह में शनि का भी समावेश होता है। 

टाइटन शनि ग्रह का सबसे बड़ा उपग्रह है। यह एक ऐसा ग्रह है, जिसके चारों तरफ स्थाई वायुमंडल देखा जाता है। फॉर्ब्स जोकि शनि का उपग्रह है, यह शनि की कक्षा के विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है।

7. अरुण (Uranus)

इस ग्रह का नामकरण ग्रीक देवता यूरेनस के नाम के आधार पर किया गया था। इसे सौरमंडल में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह माना जाता है। लगभग 1781 ईसवी के दौरान विलियम हर्शेल द्वारा इसकी खोज की गई थी। 

यह दूसरे ग्रहों से विपरीत पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर  घूमता है। अरुण पर सूर्य पूर्व दिशा तथा सूर्योदय पश्चिम दिशा की तरफ होता है। 

अपनी धुरी पर यह ग्रह बहुत ज्यादा सूर्य की तरफ झुका हुआ है, जिसके कारण इससे लेटा हुआ ग्रह भी कहा जाता है।

8. वरुण (Neptune)

1846 ईस्वी के दौरान जर्मन खगोल शास्त्री सर जोहान गोले द्वारा इस ग्रह की खोज की गई थी। दिखने में यह ग्रह हरे रंग का है, जो कि सूर्य से सबसे अधिक दूरी पर स्थित है। 

ट्रिटॉन और नेरीड इसके कुल उपग्रहों में से सबसे प्रमुख उपग्रह हैं। वरुण ग्रह के चारों तरफ शीतल मीथेन का वास्प छाया रहता है। इस ग्रह के वायुमंडल में घनत्व बहुत ही ज्यादा है, जिसमें हिलियम हाइड्रोजन  मीथेन और अमोनिया का समावेश है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने सौर मंडल के ग्रह (Solar System Planets in Hindi) के विषय में पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।


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