यदि आप स्कूल जाने वाले छात्र हैं, तो आप स्कूलों में होने वाली को करीकुलर एक्टिविटीज (सह पाठ्यक्रम गतिविधियां) के बारे में जानते होंगे, सह-पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियाँ सीखने का कार्यक्रम होती हैं जो किसी कक्षा के पाठ्यक्रम का हिस्सा होती हैं। यदि आप इसके बारे में नही जानते है तो आप इस पोस्ट के ज़रिए जानेंगे कि ‘सह शैक्षिक गतिविधियाँ‘ क्या है और Importance of Co-Curricular Activities in Hindi
Co-curricular activities kya hai meaning/definition in Hindi – सह शैक्षिक गतिविधियाँ क्या है?
को करीकुलर एक्टिविटीज (Co-curricular Activities) का हिन्दी में मतलब सह शैक्षिक गतिविधियाँ या सहपाठ्यचारी क्रियाकलाप होता है। Co-curricular Activities उन गतिविधियों, कार्यक्रमों और सीखने के अनुभवों को संदर्भित करती है जो स्कूल में छात्र के जीवन कौशल को निखारती हैं, ये ऐसे अनुभव होते है जो स्कूली पाठ्यक्रम से जुड़े होते हैं।
स्कूलों में छात्रों को अच्छा जीवन कौशल प्रदान करने के लिए कुछ सह-पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियाँ भी आयोजित की जाती है जिसमे रचनात्मक शिक्षण विधियों का उपयोग करके सीखने के प्रोसेस को आसान और मजेदार बनाया जाता हैं। को करीकुलर एक्टिविटीज एक बच्चे को शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित करने, सामाजिक कौशल हासिल करने और दिन-प्रतिदिन के काम करने में कुछ हद तक स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद करती हैं।
Extracurricular Activities in Hindi Meaning – एक्सट्रा करिक्युलर एक्टिविटीज क्या है?
Extra Curricular Activities (एक्सट्रा करिक्युलर एक्टिविटीज) को Extra Academic Activity के नाम से भी जाना जाता है और इसका हिन्दी में मतलब अतिरिक्त शैक्षणिक गतिविधियाँ या पाठ्येतर गतिविधियाँ होता है। Extracurricular Activities ऐसी गतिविधियाँ होती है जो छात्रों द्वारा स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय में की जाती है और जो शिक्षा के सामान्य पाठ्यक्रम के दायरे से थोड़ी सी बाहर होती है।
जीवन में प्रोत्साहन और कुछ नया सीखने के लिए किए जाने वाले काम एक्सट्रा करिक्युलर एक्टिविटीज में आते है जैसे – वाद-विवाद प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन, इनडोर गेम्स, आउटडोर गेम्स, स्कूल के कार्यक्रमों के आयोजन में मदद करना आदि।
Examples/Types of co-curricular activities in Hindi – अतिरिक्त पाठयक्रम गतिविधियों के प्रकार?
ऐसी कई प्रकार की को करीकुलर एक्टिविटीज हैं जिनको छात्र स्कूल और घर पर कर सकते हैं, जैसे –
- Fun Activities (फन/मज़ेदार एक्टिविटीज)
- Summer Activities (ग्रीष्मकालीन गतिविधियां)
- Craft Activities (शिल्पकारिता)
- Science Activities (विज्ञान से संबंधित गतिविधियां)
- Group Activities (समूह में की जाने वाली गतिविधियां)
- Art Activities (कला से संबंधित गतिविधियां)
- Picture Activities (चित्र गतिविधियाँ)
- Sports Activities (खेल-कूद से संबंधित गतिविधियां)
स्कूलों में त्योहार मनाना – इसमे सभी धर्मों के छात्रों को शामिल करके भाईचारे की भावना को बढ़ावा दिया जाता है।
कक्षा रूम को सजाना – इससे छात्रों में रचनात्मकता आती है और टीम वर्क को बढ़ावा मिलता है।
फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता – इससे विभिन्न व्यवसायों और व्यवसायों के लोगों की मेहनत की गरिमा के बारे में सिख मिलती है।
सम्मर कैंप – स्कूल परिसर में कैंप आयोजित करके खेल-कूद की गतिविधियां जैसे क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन, हॉकी आदि खेल खेलने के लिए छात्रों की कई टीमें बनाई जाती है, जिससे टीम वर्क सीखने और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा विकसित करने में मदद मिलती हैं।
कला या आर्ट प्रतियोगिता – स्कूल में शिक्षकों द्वारा विभिन्न विषयों पर चित्र बनाने जैसा प्रोत्साहित करने वाला काम दिया जाता है जिससे बच्चो को अपनी रचनात्मकता को विकसित करने में मदद मिलती है।
एल्बम बनाने की प्रतियोगिता या स्क्रैपबुकिंग – इस गतिविधि में नियमित पाठ्यक्रम से छात्र की रुचि के एक या दो विषयों पर एक एल्बम बनाना होता है, जैसे अखबार की कतरनों, भूगोल या इतिहास, समाचार और समसामयिक मामलों के बारे में चित्रों का एक एल्बम बनाना आदि।
शिल्प या क्राफ्ट प्रतियोगिता – स्कूल में बच्चों को रंगीन कागज, कार्डबोर्ड और अन्य सामग्री का उपयोग करके विभिन्न चीज़े बनानी होती हैं।
क्विज़ या प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता – सामान्य ज्ञान को विकसित करने के लिए कक्षा में समूह बनाकर प्रश्नोत्तरी की प्रतियोगिता की जाती हैं।
होम प्रॉजेक्ट्स – आपको अकेले या आपकी कक्षा के अन्य छात्रों के साथ संयुक्त रूप से काम करके घर से कोई प्रॉजेक्ट बना कर स्कूल में लाना होता हैं।
एक्सपेरिमेंट या प्रयोग – इसमे कई गतिविधि की जा सकती है जैसे टूटे हुए कांच के टुकड़ों या दर्पणों के साथ एक बहुरूपदर्शक या पेरिस्कोप बनाना, एक सामान्य अनाज के दाने से पौधा उगाना और इसी तरह की कई अन्य गतिविधिया।
हॉबी प्रतियोगिता – इसमे डॅन्सिंग, सोलो या ग्रूप सिंगिंग, ड्रामा या एक्टिंग जैसे गतिविधिया शामिल की जा सकती है।
इसके अलावा, बच्चों के लिए कुछ और को करीकुलर एक्टिविटीज हैं जो अधिकांश स्कूलों द्वारा आयोजित की जाती है जिससे बच्चो का ज्ञान बढ़ता है, जैसे –
- Story and Essay Writing (कहानी और निबंध लेखन की प्रतियोगिता)
- Environmental Studies (वातावरण से संबंधित अध्ययन करवाना)
- Student’s Banking (बैंको के सहयोग से छात्रों के बैंक अकाउंट खोलना)
Mahatva/Importance of Co-Curricular Activities in Hindi – सह शैक्षिक गतिविधियों का महत्व क्या है?
स्कूल में हर छात्र के लिए को करीकुलर एक्टिविटीज समान रूप से महत्वपूर्ण होती हैं। यहा कुछ ऐसे कारण दिए गए हैं जो बताते है कि को करीकुलर एक्टिविटीज का महत्व (Importance of Co-Curricular Activities) क्या है?
① छात्रों के लिए सह-पाठयक्रम गतिविधियों के द्वारा सीखे गए नये कौशल को याद रखना बहुत आसान होता है।
② छात्रों को नियमित कक्षा पाठ्यक्रम के हटकर नये दोस्त बनाने और नई ग्रूप गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिलता है।
③ विभिन्न तरह की गतिविधियों से सौहार्द की भावना विकसित होती है।
④ छुट्टियों के दौरान सह-पाठयक्रम गतिविधियों से छात्र एक दूसरे से जुड़े रहते हैं।
⑤ स्कूल में कई तरह की गतिविधियों में भाग लेने से छात्रों में आत्मविश्वास का विकास होता है।
⑥ छात्र सह-पाठयक्रम गतिविधियों के ज़रिए अपने कौशल की पहचान कर सकते हैं जिससे उन्हे अपना करियर बनाने में आसानी होती हैं।
⑦ सह-पाठयक्रम गतिविधियों में भाग लेने के प्रमाण पत्र उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लेने और नौकरी तलाश में उपयोगी होते हैं।
⑧ स्कूल में विभिन्न तरह की गतिविधियाँ देश की संस्कृतियों के बारे में समझ बढावा देती हैं और सभी में एकता की भावना पैदा करती हैं।
⑨ यह छात्रों के लिए सीखने का एक मजेदार तरीका होता है इससे छात्रों को स्ट्रॉंग समय प्रबंधन और संगठनात्मक कौशल को विकसित करने में मदद मिलती है।
Disadvantages of co curricular activities in Hindi – सह पाठयक्रम गतिविधियों के नुकसान?
कई फायदो के अलावा, पाठ्य सहगामी गतिविधियों (Co-Curricular Activities) के कुछ नुकसान भी हैं, जो इस प्रकार हैं –
प्रारंभिक दबाव – ज़्यादा छोटे बच्चों का करिकुलर एक्टिविटीज में हिस्सा लेना दबावपूर्ण साबित हो सकता है। बच्चे खेल-कूद या अन्य गतिविधि छोड़ना चाह सकते हैं लेकिन बच्चे अपने माता-पिता को निराश करने से डरते हैं। माता-पिता और बच्चों को संवाद करना चाहिए ताकि छोटे बच्चों को अनावश्यक शुरुआती दबावों का सामना न करना पड़े।
कभी-कभी निराशा – किसी भी उम्र में छात्र निराश हो सकते हैं यदि वे स्कूल में पाठ्येतर गतिविधिया ज़्यादा करते हैं। छात्र इस बात से भी निराश हो सकते हैं कि उनके पास अपनी प्रतिभा को विकसित करने के लिए समय नहीं मिल पाता है।
शारीरिक और मानसिक तनाव – बच्चे हमेशा अपनी शारीरिक समस्याओं को दूसरो के सामने स्पष्ट करना नहीं जानते है, और उन्हे अपनी मर्ज़ी के बिना स्कूली गतिविधियो में हिस्सा लेना पड़ता है जिससे उन्हे शारीरिक और मानसिक तनाव हो सकता है।
गरीब परिवारों पर बोझ – कुछ सह पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियाँ बहुत महंगी होती हैं। इन गतिविधियों में बच्चो को हिस्सा लेने के लिए उनके माता-पिता को महंगे उपकरण और ड्रेस खरीदने की आवश्यकता होती है, जिसका खर्चा हर कोई वहन नही कर पाता है।
समय खराब होना – कुछ सह-पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियाँ अधिक समया की माँग करती हैं, कई छात्र इतना समय नही दे सकते हैं।
ज़्यादातर स्कूलों में आयोजित को करीकुलर एक्टिविटीज में भाग लेना छात्रों के लिए निःशुल्क होता है। लेकिन, छात्र को सामग्री, उपकरण या यात्रा से संबंधित खर्च खुद ही वहन करना पड़ता है। Importance of Co-Curricular Activities जानने के बाद, आपको एक ऐसी को करीकुलर एक्टिविटी का चयन करना चाहिए जो आपके जुनून या शौक और बजट के अनुकूल हो ताकि आपको उस गतिविधि में भाग लेने से जीवन में मदद मिल सके।
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